Village Business ideas : गोबर से सामान बनाकर गांव से हर महीने के लाखो रुपए कमाई | कम इन्वेस्टमेंट में अच्छा बिजनेस कौन सा है?
Village Business Ideas : मुख्या मंत्री भुपेश वघेन ने बुधवार को विधानसभा मे छतिशगड बजट 2022-23 पेश किया है. इस दौरान सीएम के हाथ मे मौजूद ब्रीफकेस काफी चर्चा मे रहा ऐसा इसलिए क्योंकि यह ब्रीफकेस गोबर का बना था, खास बात यह रही कि ब्रीफकेस से ऊपर संस्कृत मे गोमय बसते लक्ष्मी लिखा था, जिसका मतलब है गोबर मे लक्ष्मी का वाश होता है, देश मे पहली बार ऐसा हुआ जब किसी मुख्यमंत्री ने गोबर से बने ब्रीफकेस मे बजट किया, आप तौर पर मुख्यमंत्री चमडे या जुट से बने ब्रीफकेस का इस्तेमाल बजट कि प्रति लाने के लिए करते है, दरअसल ये ब्रीफकेस रायपुर की संस्था एक पहल ने तैयार किया है, इसके फाउंडर रितेश अग्रवाल है, उनकी टिम ने 10 दिनों की मेहनत के बाद ये ब्रीफकेस तैयार किया था।
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कम इन्वेस्टमेंट में अच्छा बिजनेस कौन सा है?
मुख्यमंत्री ने बुधवार को विधानसभा मे छतिशगड बजट 2022-23 पेश किया, इस दौरान CM के हाथ मे मौजूद ब्रीफकेस काफी चर्चा मे रहा ऐसा इस लिए क्योंकि यह ब्रीफकेस गोबर का बना था, खास बात यह रही कि ब्रीफकेस के ऊपर संस्कृत मे गोमय बसते लक्ष्मी लिखा था, जिसका मतलब है, गोबर मे लक्ष्मी का वास होता है।
देश मे पहली बार ऐसा हुआ जब किसी मुख्यमंत्री ने गोबर से बने ब्रीफकेस मे बजट पेश किया, आम तौर पर मुख्यमंत्री चमडे या जुट से बने ब्रीफकेस का इस्तेमाल बजट की प्रति लाने के लिए करते है, दरअसल ये ब्रीफकेस रायपुर की संस्था रितेश पहल मे तैयार किया है, इसके फाउंडर रितेश अग्रवाल है, उनकी टिम ने 10 दिनों की मेहनत के बाद ये ब्रीफकेस तैयार किया था।
रितेश पिछले 3 सल से गोबर से बने चप्पल, पर्स, बेग, मुर्तिया, दिये, ईट, पैंट, जैसे चीजे बना रहे है, होली के लिए उन्होंने गोबर से इको फ्रेंड्ली अबीर और गुलाल तैयार किया है, देश भार मे उनके प्रोड्क्ट की डिमांड है, हर महीने 3 लाख रुपए कमाई हो रही है, 23 लोगों को उन्होंने रोजगार भी दिया है।
चलिए आज की खबर मे जानते है, रितेश ने ये सफर कैसे पूरा किया? गोबर से वे कौन कौन सा प्रोड्क्ट बनाते है? उनकी प्रोसेस क्या है, और कैसे इससे मुनाफा कमाया जा सकता है।
नौकरी छोड़कर गो सेवा मे जुड़ गए ( 5000 मे कौन सा बिजनेस शुरू करें? )
41 साल के रितेश की पढाई लिखाई रायपुर मे हुई साल 2003 मे ग्रेजुएशन करने के बाद अलग अलग कम्पनीओ मे उन्होंने लंबे समय तक काम किया।
रितेश बताते है कि काफी समय से मेरे मन मे समाज के लिए कुछ करने का ख्याल आ रहा था, अक्सर मैं देखता था कि सड़को पर गाये घूमती रहती है, इनमे से अधिक तर गाये कचरा खाने की वजह से बीमार हो जाती है, तो कई हादसे का सीकर भी हो जाती है, मैं सोचता था कि इनके लिए कुछ किया जाए, ताकि इनकी जान बच सके इसलिए साल 2015 मैं नौकरी छोड़ दी और एक गोशाला से जुड़ कर गो सेवा करने लगा, करीब 3 साल तक वहा काम किया।
जयपुर और हिमाचल मे ली गोबर से इको फ्रेंड्ली प्रोड्क्ट बनाने की ट्रेनिंग।
गो सेवा दौरान रितेश गाय से जुड़े कई प्रोड्क्ट पर काम करने का मौका मिला, तब उन्हें पता चला कि दूध देने वाली गाय के साथ ही बिना दूध देने वाली गाय भी उपयोगी है।
उसके गोबर से कई तरह के कीमती प्रोड्क्ट बनाए जा सकते है, इसी बीच 2018 - 19 मे छतिशगड सरकार ने गोबर मॉडल शुरू किया रितेश भी रायपुर के एक गोहान से जुड़ गए।
इसके बाद गो सेवा के साथ गोबर इकोफ्रेंडली प्रोड्क्ट तैयार करने को लेकर प्लान करने लगे, इसकी ट्रेनिंग के लिए वे जयपुर और हिमाचल प्रदेश गए, वहां उन्होंने गोबर से बनाने वाले प्रोड्क्ट और उसकी प्रोसेस के बारे मे जानकारी जुटाई फिर रायपुर आने के बाद अपने गोठांन मे भी उसी पर काम करना शुरू कर दिया।
स्थानीय लोगों के साथ तैयार किया समूह और शुरू किया यह बिजनेस कम लागत मे।
रितेश कहते है कि रायपुर आने के बाद मैंने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर एक समूह तैयार किया इसमें महिलाओ को प्राथमिकता दी, उन्हें गोबर से अलग अलग सामान बनाने की ट्रेनिंग दी, जरुरी चीजे ला कर दी फिर गोबर से मुर्तिया, दिये, और ईट बनाना शुरू किया। इसका काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला। छत्तीसगढ़ के साथ ही दूसरे राज्यों मे भी अपने प्रोड्क्ट भेजे इसकी लोगों ने काफी तारीफ की और अच्छी कमाई भी हुई।
गोबर से बनी लकड़ी 7 हज़ार से अधिक दाह संस्कार।
भास्कर से बात करते हुए रितेश बताते है कि कोरोंना के दौरान एक के बाद एक लोगों की मौत होने लगी। अचानक दाह संस्कार के लिए लकडिया की डिमांड बढ़ गई। तब हमारे दिमाग मे ख्याल आया कि क्यों न गोबर से ही कुछ ऐसा तैयार किया जाए जिसका दाह संस्कार के लिए लकड़ियों की जगह इस्तेमाल किया जा सके इसके बाद हमारे समूह के लोग ने गोबर से लकड़ी बनानी शुरू की । अब तक हम 7 हज़ार से अधिक दाह संस्कार के लिए गोबर से बनी लकड़ी उपल्ब्ध करा चुके है।
होली के लिए गोबर से तैयार किया अबीर गुलाल।
जैसे जैसे रितेश के प्रोड्क्ट की मांग बढ़ती गई वे अपने काम का दायरा बढ़ाते गए। हाल ही मे उन्होंने गोबर से कई रंगों मे इकोफ्रेंडली अबीर गुलाल तैयार किया। इसकी कीमत 300 रुपय प्रति किलो है। देश भर मे वे इसकी मार्केटिंग कर रहे है। फिलहाल उनके साथ 13 महिलाये और 10 पुरुष काम करते है जब कि उनके गोठांन मे 400 से अधिक गाय है।
गोबर से बनी अबीर गुलाल तैयार करने की प्रोसेस क्या है। कम लागत से कैसे शुरू कर सकते है अपना बिजनेस जानिए।
रितेश बताते है कि गोबर से अबीर गुलाल तैयार करने के लिए सबसे पहले गोबर को सुखाया जाता है इसके बाद उसे मशीन की मदद से पिस कर पाउडर के रूप मे कन्वर्ट करते है, फिर उसमें अ
लग अलग तरह की फूलो की सुखी पतियो के पाउडर को मिलते है। फिर इसमें कस्टर्ड पाउडर मिलाया जाता है। इसके बाद बारी आती है। इन्हें रंग देने की इसके लिए अलग अलग तरह के नेचुरल कलर का इस्तेमाल किया जाता है। हरा रंग चाहिए तो धनिया पते का उपयोग किया जाता है।
एक हजार रुपए से कर सकते है गोबर से धन कमाने की शुरुआत। गोबर से बिजनेस की शुरुआत करें सिर्फ 1000 रुपए से।
गोबर सबसे आसानी से उपल्ब्ध होने वाला सामान है। खास करके गांवो मे इसके पास गया नहीं है, वे भी चार पाँच रुपए किलो के हिसाब से गोबर आसानी से खरीद सकते है। कई लोग तो मुफ्त मे भी गोबर उपल्ब्ध करा देते है। अगर आप भी गोबर से कमाई करना चाहते है तो एक हज़ार रुपए की लागत से इसकी शुरुआत कर सकते है।
इसके लिए आपको छोटे छोटे सामान की जरूरत होगी जैसे आपको ईट तैयार करना है तो उसके लिए एक सचा की जरूरत होगी। पैंट और अबीर गुलाल बनाना है तो उसके लिए एक ग्राइन्डर मशीन की जरूरत होगी।
इसी तरह लकड़ी तैयार करने के लिए भी मशीन मिल जाती है हलाकि इसकी कीमत कुछ अधिक हो सकती है। कई राज्यों मे सरकारे इसको लेकर आर्थिक मदद भी करती है। कई संगठन भी इस सेक्टर मे काम करने वाले लोगों को सपोर्ट करते है।
नोट तो अगर आप अपने गांव मे अपना एक सस्ता और अच्छा बिजनेस कि शुरुआत करना चाहते है तो आप इस बिजनेस के बारे मे एक बार सोच सकते है इसमें आपको लागत कम आएगी और अधिक कमाई होगी तो इस बिजनेस पर एक बार जरूर ध्यान दे। और अगर आपके घरों मे बहुत सारी गाय माता है तो आप इस बिजनेस को शुरू कर सकते है।